Reviewer:
Vinay Vimal
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March 9, 2019
Subject:
अत्युपयोगी महान् ग्रन्थ-रत्न
इस ग्रन्थ-रत्न की जितनी प्रशंसा की जाय कम है। श्रीमद्भागवत महापुराण पर लिखे गये प्रायः सभी सुप्रसिद्ध भाष्य एवं टीकाओं से युक्त इस विशालकाय ग्रन्थ-रत्न का महत्त्व इसे देखकर ही समझा जा सकता है। अतः इसकी समीक्षा करने की अपेक्षा इसका विवरण दे देना ही जिज्ञासु पाठकों के लिए उपयोगी भी होगा और उपयोग में सुविधाजनक भी :-
श्रीमद्भागवतमहापुराणम्
अनेक व्याख्यासमलङ्कृतम्
(१२ भाग एवं १७ खण्डों में)
सम्पादकः - श्रीदलसुखरामात्मजः कृष्णशङ्करः शास्त्री
('अभिनवशुकः' वेदान्ताचार्यः साहित्यतीर्थः श्रीभागवतसुधानिधिः)
प्रकाशकः - श्रीभागवतविद्यापीठः, सोला (अहमदाबाद)
प्रकाशन-वर्ष - सन् १९६५ ई॰ से १९७५ ई॰ तक
व्याख्या :-
०१. श्रीधरस्वामिविरचिता भावार्थदीपिका
०२. श्रीवंशीधरकृतो भावार्थदीपिकाप्रकाशः
०३. श्रीराधारमणदासगोस्वामिविरचिता दीपिनी व्याख्या
०४. श्रीमद्वीरराघवव्याख्या
०५. श्रीमद्विजयतीर्थकृतापदरत्नावली
०६. श्रीमज्जीवगोस्वामिकृतः क्रमसन्दर्भः
०७. श्रीमद्विश्वनाथचक्रवर्त्तिकृता सारार्थदर्शिनी व्याख्या
०८. श्रीमद् शुकदेवकृतः सिद्धान्तप्रदीपः
०९. श्रीमद्वल्लभाचार्यविरचिता सुबोधिनी व्याख्या
१०. श्रीमद्गोस्वामिश्रीपुरुषोत्तमचरणविरचितः सुबोधिनीप्रकाशः
११. श्रीगिरिधरलालकृता बालप्रबोधिनी
१२. श्रीकृष्णशङ्कर शास्त्री कृत हिन्दी अनुवाद
कुछ भागों में श्रीराधारमणदास, श्रीमद्वल्लभाचार्य एवं गोस्वामिश्रीपुरुषोत्तमचरण विरचित व्याख्या नहीं हैं। उन भागों में उनके बदले श्रीकृष्णशंकरकृत 'कृष्णप्रिया' अथवा श्रीसुदर्शनसूरिकृत 'शुकपक्षीयम्', श्रीगंगासहाय प्रणीत 'अन्वितार्थ प्रकाशिका' तथा श्रीभगवत्प्रसादाचार्य प्रणीत 'भक्तमनोरञ्जनी' व्याख्या दी गयी हैं। दशम स्कन्ध में हिन्दी अनुवाद के अतिरिक्त तीस व्याख्याएँ (कुछ टिप्पणियों सहित) दी गयी हैं।
पृष्ठ-सं॰ - भाग-१- ८१८; भाग-२- ५१२; भाग-३- १२४३; भाग-४- ८६५; भाग-५- ६२३; भाग-६- ६२२; भाग-७-
६०२; भाग-८- ५७७; भाग-९- ५६१ ; भाग-१०- कुल-७,४२५ [pdf में खंड-१-१३०१ (अध्याय-१ से ११); खंड-२-११५० (पृ॰ १३०२ से २४५१ तक अध्याय-१२से२८); खंड-३-१००१ (पृ॰ २४५२ से ३४५२ तक अध्याय-२९ से ३५); खंड-४-९९६ (पृ॰ ३४५३ से ४४४९ तक अध्याय-३६ से ४९); खंड-५-१२१४ (पृ॰ ४४५० से ५६६३ तक अध्याय-५० से ७०); खंड-६-१७६२ (पृ॰ ५६६४ से ७४२५ तक अध्याय-७१ से ९०)]; भाग-११- १३५६; भाग-१२- ३६१. सम्पूर्ण पृष्ठ-संख्या=१५,५६५.